Career Astrology – Guidance for best career

नवरात्रि में कन्या भोजन – रखें ध्यान इन बातों का।।

ध्यान रहे कि नवरात्रि में कन्या भोज में कोई भी कन्या अधिकांगी, हीनांगी एवं कुरूप ना हो।

कन्याओं को प्रेम पूर्वक बुलाने के बाद उनके चरण धोए। चरण धोने के लिए एक परात में जल भरकर कुछ फूल उसमे डाल कर रखें और उसी में चरण धुलाकर साफ तौलिए से पौंछ दे। तत्पश्चात कन्या माता को उचित आसन पर स्थान दे।

नवरात्रि कन्या भोज में कन्या 2 वर्ष से 9 वर्ष तक की बैठा सकतें हैं। उचित है कि उसी कन्या माता को बैठाया जाए जो भोजन ग्रहण कर सकें और आशीर्वाद दे सके।

एक बालक को भी अवश्य बैठाएं । इस बालक को बटुक भैरव कहा जाता है। उसके भी पैर धुलाकर पोंछ कर उचित आसन दें और भोजन कराएं।

सभी कन्या माताओं के स्थान ग्रहण करने के पश्चात उनकी आरती करें एवं उनको कुमकुम का तिलक एवं साबुत चावल लगाकर उनके हाथों में लाल कलावा बांध दें।

भोजन कराते समय उनको केवल कन्या ना समझे बल्कि माता रानी के नौ स्वरूप समझें और उनके भोजन की आवश्यकता का प्रतिपल ध्यान रखें।

कन्या पूजन में कभी भी कन्याओं के साथ दुर्व्यवहार ना करें अपने समयाभाव के कारण उन पर कोई गुस्सा या जल्दबाजी ना दिखाएं। सम्पूर्ण आदर्भाव से हाथ जोड़कर ही उनको बुलाएं।

भोजन कराते समय कन्या मताओ से कोई बात ना करें उन्हें भोजन ग्रहण करने दें।

माता रूपी कन्याओं को भोजन कराने के पश्चात उनके हाथ धुलाकर पोंछ कर उन्हें उचित दक्षिणा एवम् भेंट दें। अक्सर हम यहीं पर अपनी कंजूसी दिखा जातें हैं। ध्यान रहे आप कन्याओं को नहीं कन्या रूपी नवदुर्गा माताओं को भेंट दे रहें हैं और वो आपका पल पल जानती है। अतः उस महाशक्ति की प्रसन्नता को प्राप्त करने के लिए जितना कर सकतें हैं खुशी से जरूर करें।

कन्या माताओं को विदा करनें से पहले सभी के चरणों में अपना बारी बारी शीश झुकाकर अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए माता रानी से विनम्र प्रार्थना करें।

कन्या रूपी माताओं को विदा करने के पश्चात् जिस जल में आपने उनके चरण धुलाए थे उसे आम के पत्ते से अपने पूरे घर में छिड़क दें और बचा जल क्यारी में डाल दें। तत्पश्चात आप स्वयं भोजन करें।

Search

Contact Us for Any Discussion

+91 8077551832
ambikaastroconsultancy@gmail.com